नाज़

नाज़ महज़ 10 साल की उम्र में ही बेबी नाज़ के तौर पर स्टार बन गई थीं, वो शायद एक मशहूर हेरोइन भी बन जाती, अगर उनकी माँ सिर्फ़ एक बार अपने बजाय अपनी बेटी के भले का सोचतीं तो। तब शायद लोग उन्हें बेबी नाज़ से ज़्यादा अभिनेत्री नाज़ के नाम से याद करते!  

बाल कलाकार किसी भी फ़िल्म या सीरियल का मुख्य आकर्षण हो सकते हैं, शायद इसीलिए आजकल बहुत से टीवी सीरीयल्स में अगर किसी मुख्य किरदार की शुरुआत बचपन से होती है तो फिर उस सीरियल में उस किरदार को बड़ा होने में एक लम्बा वक़्त लग जाता है। हमें उनका काम अच्छा भी बहुत लगता है लेकिन हम भूल जाते हैं कि आख़िर हैं तो बच्चे ही। सिनेमा में ऐसे कितने ही बाल कलाकार हुए हैं जिनका बचपन असल में अपने परिवार को पालने में ही गुज़र गया, बेबी नाज़ भी उन्हीं में से एक थीं।

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नाज़ बन गई थीं पैसा कमाने की मशीन

बेहद ख़ूबसूरत, मीठी आवाज़ और प्यारे से चेहरे वाली नाज़ का असली नाम था “सलमा बेग” 20 अगस्त 1944 को जन्मी सलमा के पिता फ़िल्मों में स्ट्रग्लिंग राइटर थे, मगर उससे घर नहीं चल पाता था, इसी वजह से उनके माता-पिता के बीच हमेशा तनातनी रहती। फिर उनकी माँ ने घर ख़र्च चलाने के लिए अपनी बेटी को 4 साल की उम्र से ही स्टेज शोज़ के लिए भेजना शुरू कर दिया। उधर उनके पिता के एक दोस्त ने उन्हें स्टेज पर नाचते देखा तो अपनी फ़िल्म “रेशम” में काम करने का ऑफर दिया। उनके पिता नहीं चाहते थे मगर जो घर के हालात थे उनमें शायद कोई और चॉइस भी नहीं थी।

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एक बार फ़िल्मों में काम करना शुरु हुआ तो सारा भार नाज़ के नाज़ुक़ कन्धों पर आ गया। वो सुन्दर तो थीं ही उनका अभिनय भी इतना नेचुरल और फ्लोलेस होता था कि जल्दी ही वो डिमांड में आ गईं। नरगिस ने उनका एक शो देखा था और उनकी सिफारिश पर राजकपूर ने उन्हें अपनी फ़िल्म “बूट-पॉलिश” में लिया। ये फ़िल्म रिलीज़ होते ही वो देश में ही नहीं दुनिया भर में मशहूर हो गईं। ये फ़िल्म कान फेस्टिवल में भी दिखाई गई और वहाँ जूरी ने बेबी नाज़ और मास्टर रतन दोनों के ही परफॉरमेंस को बेहद सराहा।

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नाज़ और मास्टर रतन फिल्म “बूट पॉलिश” के एक दृश्य में

लेकिन इससे नाज़ की ज़िंदगी में कोई पॉसिटिव चेंज नहीं आया बल्कि इसके बाद तो उनकी माँ का लालच और बढ़ गया उन्हें चार-चार शिफ़्ट में काम करना पड़ता। उसके बावजूद घर में किसी को उनकी परवाह नहीं होती थी। कितनी ही बार वो थकी हारी शूटिंग से लौटतीं और माता-पिता को लड़ते हुए पाती और यूँ ही भूखे सो जातीं। फिर एक वक़्त आया जब उनकी माँ ने उनके पिता को छोड़ दिया और दूसरी शादी कर ली, लेकिन नाज़ को अपने ही साथ रखा। 

बेबी नाज़ ने दो बार आत्महत्या करने की कोशिश की थी

नाज़ ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि जिन हालात से वो गुज़र रही थीं उस समय उन्होंने दो बार पास के कुँए में कूदकर आत्महत्या करने की कोशिश की, दोनों बार उनकी आया ने उनको बचाया। और जब माँ को पता चला तो वजह जानने की बजाय उन्हें थप्पड़ मारा गया। उनकी ज़िंदगी में एक मौक़ा आया था जब वो इन सब से बाहर निकल सकती थीं और उनका करियर बतौर हेरोइन शायद कामयाब होता मगर ये वो उनकी माँ के लालच ने नहीं होने दिया। राजकपूर उन्हें स्विस स्कूल में पांच साल के कोर्स के लिए भेजना चाहते थे मगर उनकी माँ तैयार नहीं हुईं।

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नाज़ और राज कपूर

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जल्दी ही उनकी माँ ने बेबी नाज़ को कुमारी नाज़ बना कर प्रोडूसर डायरेक्टर के सामने पेश करना शुरू कर दिया। वो छोटी थीं मगर ढेर सार मेकअप लगाकर और कपड़ों से उन्हें बड़ा दिखने की कोशिश करतीं। कुछेक फिल्ममेकर्स ने उन्हें फ़िल्म में काम भी दिया मगर वो उनके स्तर की फ़िल्में नहीं थी। पर उनकी माँ को बस फ़िल्में साइन करने से मतलब था इसीलिए “नादिरशाह” “लम्बे हाथ”, “रॉकेट गर्ल”, “गंगू” जैसी क़रीब 30 फ़िल्में करने के बावजूद नाज़ बतौर हेरोइन अपनी पहचान नहीं बना सकीं। हाँ “बहु-बेगम”, “फिर कब मिलोगी”, “शोर”, “सच्चा-झूठा” जैसी कई फ़िल्मों में उन्होंने जो सपोर्टिंग रोल्स किए उनमें उन्हें काफ़ी पसंद किया गया।  

मोहब्बत की ख़िलाफ़त

नाज़ की ज़िंदगी में अगर कोई राहत की बात थी तो वो थे उनके साथी कलाकार सुबीराज कपूर की मोहब्बत। (सुबीराज बाद के दौर में बहुत से टीवी धारावाहिकों में परिपक्व भूमिकाएं निभाते नज़र आए।) दोनों ने “मेरा घर मेरे बच्चे” और “देखा प्यार तुम्हारा” जैसी कुछ फ़िल्मों में साथ काम किया था। क़रीब 5 साल की कोर्टशिप के बाद फ़िल्म “देखा प्यार तुम्हारा” के सेट पर ही सुबीराज ने उनकी माँग भर दी। हाँलाकि इस शादी की काफ़ी ख़िलाफ़त हुई, सुबीराज को धमकियाँ भी मिलीं मगर शादी के बाद दोनों एक दूसरे के साथ बेहद खुश रहे। उनके दो बच्चे हुए लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को फ़िल्मी दुनिया से दूर ही रखा और नाज़ ने अपने परिवार पर ज़्यादा ध्यान दिया।

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नाज़ और सुबीराज कपूर

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फ़िल्मों के अलावा नाज़ ने श्रीदेवी समेत कई मशहूर हेरोइन्स के लिए डबिंग भी की। लेकिन उम्र के 50वें साल में उन्हें लीवर में ट्यूमर हुआ और 19 अक्टूबर 1995 को वो दुनिया छोड़कर चली गईं। नाज़ एक बहुत ही टैलेंट एक्ट्रेस थीं पर पहले उनकी माँ और फिर बॉलीवुड ने उनकी क़ाबिलियत की क़द्र नहीं की। लेकिन ये ज़रुर है कि जब-जब बाल-कलाकारों की बात होगी तो बेबी नाज़ का नाम सबसे पहले लिया जाएगा।

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